जैसलमेर

जैसलमेर भारत के राजस्थान प्रांत का एक शहर है। भारत के सुदूर पश्चिम में स्थित थार के मरुस्थल में जैसलमेर की स्थापना भारतीय इतिहास के मध्यकाल के प्रारंभ में ११७८ ई. के लगभग राजपूत भाटी के वंशज रावल-जैसल द्वारा की गई थी। रावल जैसल के वंशजों ने यहाँ भारत के गणतंत्र में परिवर्तन होने तक बिना वंश क्रम को भंग किए हुए ७७० वर्ष सतत शासन किया, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना है। जैसलमेर राज्य ने भारत के इतिहास के कई कालों को देखा व सहा है। सल्तनत काल के लगभग ३०० वर्ष के इतिहास में गुजरता हुआ यह राज्य मुगल साम्राज्य में भी लगभग ३०० वर्षों तक अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सक्षम रहा। भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना से लेकर समाप्ति तक भी इस राज्य ने अपने वंश गौरव व महत्व को यथावत रखा। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात यह भारतीय गणतंत्र में विलीन हो गया। भारतीय गणतंत्र के विलीनकरण के समय इसका भौगोलिक क्षेत्रफल १६,०६२ वर्ग मील के विस्तृत भू-भाग पर फैला हुआ था। रेगिस्तान की विषम परिस्थितियों में स्थित होने के कारण यहाँ की जनसंख्या बींसवीं सदी के प्रारंभ में मात्र ७६,२५५ थी।

...आगे पढ़ें

जैसलमेर भारत के राजस्थान प्रांत का एक शहर है। भारत के सुदूर पश्चिम में स्थित थार के मरुस्थल में जैसलमेर की स्थापना भारतीय इतिहास के मध्यकाल के प्रारंभ में ११७८ ई. के लगभग राजपूत भाटी के वंशज रावल-जैसल द्वारा की गई थी। रावल जैसल के वंशजों ने यहाँ भारत के गणतंत्र में परिवर्तन होने तक बिना वंश क्रम को भंग किए हुए ७७० वर्ष सतत शासन किया, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना है। जैसलमेर राज्य ने भारत के इतिहास के कई कालों को देखा व सहा है। सल्तनत काल के लगभग ३०० वर्ष के इतिहास में गुजरता हुआ यह राज्य मुगल साम्राज्य में भी लगभग ३०० वर्षों तक अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सक्षम रहा। भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना से लेकर समाप्ति तक भी इस राज्य ने अपने वंश गौरव व महत्व को यथावत रखा। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात यह भारतीय गणतंत्र में विलीन हो गया। भारतीय गणतंत्र के विलीनकरण के समय इसका भौगोलिक क्षेत्रफल १६,०६२ वर्ग मील के विस्तृत भू-भाग पर फैला हुआ था। रेगिस्तान की विषम परिस्थितियों में स्थित होने के कारण यहाँ की जनसंख्या बींसवीं सदी के प्रारंभ में मात्र ७६,२५५ थी।

जैसलमेर जिले का भू-भाग प्राचीन काल में ’माडधरा’ अथवा ’वल्लभमण्डल’ के नाम से प्रसिद्ध था। महाभारत के युद्ध के बाद बड़ी संख्या में यादव इस ओर अग्रसर हुए व यहाँ आ कर बस गये। यहाँ अनेक सुंदर हवेलियां और जैन मंदिरों के समूह हैं जो 12वीं से 15वीं शताब्‍दी के बीच बनाए गए थे।

जैसलमेर का प्रसिद्ध डाकुओ का गांव - राजस्थान के पूर्व महामहिम मुख्यमंत्री श्री जयनारायण व्यास का #सांकङा गांव जैसलमेर से काफी लगाव था #सांकङा वही गांव है जो प्राचीन राजस्थान मे डाकुओ की नगरी के नाम से प्रसिद्ध था यहां के डाकुओ की एक अलग पहचान यह थी कि इन्होने लूट पाट के लिए किसी गरीब निध्रन को नही सताया #आज भी सांकङा मे बना प्राचीन कुंआ डाकुओ की बहादुरी का परिचय दे रहा है किंवदती है कि इस कुए का पानी पीकर हर एक डाकू बन जाता था बाद मे राज्य सरकार ने इस कुंए को बन्द करवा दिया सांकङा मे बसे राठौङ पोकरणा ,सदरानी मेहर, पुरी गोस्वामी, इत्यादि समाजो के पूर्वज ही अधिकतर डाकू हुआ करते थे

 पैनोरामा में बड़ा बाग

सँकरी गलियों वाले जैसलमेर के ऊँचे-ऊँचे भव्य आलीशान भवन और हवेलियाँ सैलानियों को मध्यकालीन राजशाही की याद दिलाती हैं। शहर इतने छोटे क्षेत्र में फैला है कि सैलानी यहाँ पैदल घूमते हुए मरुभूमि के इस सुनहरे मुकुट को निहार सकते हैं। माना जाता है कि जैसलमेर की स्थापना भाटी , राव जैसल ने 12 वीं शताब्दी में की थी। इतिहास की दृष्टि से देखें तो जैसलमेर शहर पर खिलजी, राठौर, मुगल, तुगलक आदि ने कई बार आक्रमण किया था। इसके बावजूद जैसलमेर के शाही भवन राजपूत शैली के सच्चे द्योतक हैं

Photographies by:
Adrian Sulc - CC BY-SA 3.0
Statistics: Position
4305
Statistics: Rank
24504

नई टिप्पणी जोड़ें

CAPTCHA
Security
459821673Click/tap this sequence: 1792
Esta pregunta es para comprobar si usted es un visitante humano y prevenir envíos de spam automatizado.

Google street view

Where can you sleep near जैसलमेर ?

Booking.com
539.506 visits in total, 9.234 Points of interest, 405 Destinations, 187 visits today.