Кремль ( क्रेमलिन )

सामंतवादी युग में रूस के विभिन्न नगरों में जो दुर्ग बनाए गए थे वे क्रेमलिन कहलाते हैं। इनमें प्रमुख दुर्ग मास्को, नोव्गोरॉड, काज़ान और प्सकोव, अस्त्राखान और रोस्टोव में हैं। ये दुर्ग लकड़ी अथवा पत्थर की दीवारों से बने थे और रक्षा के निमित्त ऊपर बुर्जियां बनी थीं। ये दुर्ग मध्यकाल में रूसी नागरिकों के धार्मिक और प्रशासनिक केंद्र थे, फलत: इन दुर्गों के भीतर ही राजप्रासाद, गिरजा, सरकारी भवन और बाजार बने थे।

आजकल इस नाम का प्रयोग प्रमुख रूप से मास्को स्थित दुर्ग के लिये होता है। यह डेढ़ मील की परिधि में त्रिभुजाकार दीवारों से घिरा है जो 1492 ई. के आसपास गुलाबी रंग की ईटों से बना था। इसके भीतर विभिन्न कालों के बने अनेक भवन हैं जिनमें कैथिड्रेल ऑव अज़ंप्शन नामक गिरजाघर की स्तूपिका सब भवनों में ऊँची है। इसका बनना 1393 ई. में आरंभ हुआ था। इसके भीतर के अन्य प्रख्यात भवन हैं-विंटर चर्च (यह भी 1393 में बनना आरंभ हुआ था) और कंवेट ऑव अज़म्पशन (जो 1300 के आसपास का बना है)। इस मठ का द्वार गोथिक शैली का है जो 1700 ई. के आसपास रोमांतिक काल में बना था। अधिकांश राजप्रासाद रिनेंसाँ काल के हैं और अधिकांशत: उन्हें इतालवी शिल्पकारों ने बनाया था। इनमें उन लोगों ने रिनेंसाँकालीन वास्तुरूपों को रूसी रुचि के अनुरूप ढालने का प्रयास किया है। ग्रैंड पैलेस नामक राजप्रासाद रास्ट्रेली नामक इतालवी बोरोक वास्तुकार की कृति थी। 1812 में जब नेपौलियन ने मास्को पर आक्रमण किया उस समय यह प्रासाद अग्नि में जलकर नष्ट हो गया। उसके स्थान पर अब 19 वीं शती के पूर्वार्धं में बना एक सादा भवन है।

क्रेमलिन का दृश्य बाहर से अद्भुत जान पड़ता है। दुर्ग की भीमकाय दीवारों के पीछे भवनों की चमकती हुई अनंत स्तूपिकाएँ ओर द्वार तोरणों के पिरामिडाकृत मीनार की भव्यता बाहर से देखते ही बनती है। भीतर वास्तु शैली की विविधता, उनके असीम अलंकरण और भवनों की बेतरतीब पातें भी उतनी ही सशक्त भव्यता का प्रदर्शन करती हैं। तेरहवीं शती के बैजंटाइन कला, 14वीं 15वीं शती की रिनेंसा कला और 16 वीं शती की अपनी रूसी कला और परवर्ती रोमांतिक क्लासिज्म वाली कला, सबका मिश्रण देखने में आता है। फिर भी उनमें रूसी निजस्व की अनुभूति बनी हुई है।

1917 से पूर्व यह सोवियत विरोधी शक्तियों का गढ़ था। साम्यवादी शासन के समय यह सोवियत समाजवादी गणतंत्र का केंद्र था। जिन भवनों में किसी समय राजदरबारी रहते थे उनमें आज सोवियत सरकार के अधिकारी निवास करते थे। पास में ही रेड स्क्वायर है जहाँ राष्ट्रीय अवसरों पर रूसी सैनिक प्रदर्शन होते हैं। इसी स्क्वायर में लेनिन की समाधि है।

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