ख़ालिस्तान आंदोलन

ख़ालिस्तान (मतलब: "ख़ालसे की सरज़मीन") भारत के पंजाब राज्य के सिख तथा वहा के सभी धर्मो के लोगों द्वारा प्रस्तावित राष्ट्र को दिया गया नाम है।ख़ालिस्तान के क्षेत्रीय दावे में मौजूदा भारतीय राज्य पंजाब, पाकिस्तान पंजाब और कुछ पड़ोसी क्षेत्र शामिल है। 1984 में ख़ालिस्तान आंदोलन अपने चरम पर था।

ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के बाद एक अलग सिख राष्ट्र की मांग शुरू हुई। 1940 मेें ख़ालिस्तान का जिक्र पहली बार "ख़ालिस्तान" नामक एक पुस्तिका में किया गया। 1947 के बाद प्रवासी सिखों के वित्तीय और राजनीतिक समर्थन तथा पाकिस्तान की ISI के समर्थन से ख़ालिस्तान आंंदोलन भारतीय राज्य पंजाब में फला-फूूूूला और 1980 के दशक तक यह आंदोलन अपने चरम पर पहुंच गया। जगजीत सिंह चौहान के अनुसार 1971 के भारत-पाकिस्तान युुद्ध के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुुल्फिकार अली भुट्टों ने जगजीत सिंह चौहान के साथ अपनी बातचीत के दौरान, ख़ालिस्तान बनाने में मदद का प्रस्ताव रखा था।

1984 के दशक में उग्रवाद की शुरुआत हुई जो 1995 तक चला इस उग्रवाद को कुचलने के लिए भारत सरकार और सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार, ऑपरेशन वुड रोज़, ऑपरेशन ब्लैक थंडर 1 तथा ऑपरेशन ब्लैक थंडर 2 चलाए इन कार्यवाहीयों से उग्रवाद तो बहुत हद तक ख़त्म हो गया पर इसमें कई आम नागरिकों की जान गईं तथा भारतीय सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगे। भारी पुलिस एवं सैन्य कार्रवाई तथा एक बड़ी सिख आबादी का इस आंदोलन से मोहभंग होने के कारण 1990 तक यह आंदोलन कमज़ोर पड़ने लगा जिसके कारण यह आंदोलन अपने उद्देश्य तक पहुँचने में विफल रहा।

ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मारे गए सैनिक/लोगों की वजह कुछ भारतीय सिख आज भी ख़ालिस्तान का विरोध करते है। 2018 की शुरुआत में, कुछ उग्रवादीयों को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पंजाब के पुर्व मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह, शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी और अकाल तख़्त ने दावा किया था कि हालिया चरमपंथ को "पाकिस्तान देश कि आईएसआई और प्रो ख़ालिस्तान अलगाववादीयों" से समर्थन प्राप्त है।

Destinations