तारागढ़ का दुर्ग
तारागढ़ दुर्ग अरावली की ऊंची पहाड़ियों में से एक नागपहाड़ी पर बना एक भव्य दुर्ग है। यह दुर्ग "गिरि दुर्ग" का उत्कृष्ट उदाहरण है और 1426 फीट ऊचें पर्वत शिखर पर बना है। इसे "बूंदी का किला" भी कहते हैं। चौदहवीं सदी (1354) में बूंदी के संस्थापक राव देव हाड़ा ने इस विशाल और सुन्दर दुर्ग का निर्माण कराया था।
अरावली पहाड़ी की खड़ी ढलान पर बने इस दुर्ग में प्रवेश करने के लिए तीन विशाल द्वार बनाए गए हैं। इस दुर्ग का निर्माण राव बर सिंह हाडा ने करवाया इसके दरवाजों को इन्हे लक्ष्मी पोल, हाथीपोल, फूटा दरवाजा और गागुड़ी का फाटक के नाम से जाना जाता है। महल के द्वार हाथी पोल पर बनी विशाल हाथियों की जोड़ी है। इस किले के भीतर बने महल अपनी शिल्पकला एंव भित्ति चित्रों के कारण अद्वितीय है। इन महलों में छत्रमहल, अनिरूद्ध महल, रतन महल, बादल महल और फुल महल प्रमुख हैं।
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