Context of यूनान

यूनान यूरोप महाद्वीप में स्थित देश है। यहां के लोगों को यूनानी अथवा यवन कहते हैं। अंग्रेजी तथा अन्य पश्चिमी भाषाओं में इन्हें ग्रीक कहा जाता है। यहाँ के निवासी अपने देश को “एल्लास” कहते हैं। यह भूमध्य सागर के उत्तर-पूर्व में स्थित द्वीपों का समूह है। प्राचीन यूनानी लोग इस द्वीप से अन्य कई क्षेत्रों में गए जहाँ वे आज भी अल्पसंख्यक के रूप में उपस्थित है, जैसे - तुर्की, मिस्र, पश्चिमी यूरोप इत्यादि।

यूनानी भाषा ने आधुनिक अंग्रेज़ी तथा अन्य यूरोपीय भाषाओं को कई शब्द दिये हैं। तकनीकी क्षेत्रों में इनकी श्रेष्ठता के कारण तकनीकी क्षेत्र के कई यूरोपीय शब्द यूनानी भाषा के मूलों से बने हैं। इसके कारण ये अन्य भाषाओं में भी आ गए हैं।

More about यूनान

Basic information
  • Currency यूरो
  • Native name Ελλάδα
  • Calling code +30
  • Internet domain .gr
  • Mains voltage 230V/50Hz
  • Democracy index 7.39
Population, Area & Driving side
  • Population 10566531
  • छेत्र 131957
  • Driving side right
इतिहास
  • प्राचीन यूनानी लोग ईसापूर्व १५०० इस्वी के आसपास इस द्वीप पर आए जहाँ पहले से आदिम लोग रहा करते थे। ये लोग हिन्द-यूरोपीय समूह के समझे जाते हैं। 1100 ईसापूर्व से 800 ईसापूर्व तक के समय को अन्धकार युग कहते हैं। इसके बाद ग्रीक राज्यों का उदय हुआ। एथेन्स, स्पार्टा, मेसीडोनिया (मकदूनिया) इन्ही राज्यों में प्रमुख थे। इनमें आपसी संघर्ष होता रहता था। इस समय ग्रीक भाषा में अभूतपूर्व रचनाए हुईं। विज्ञान का भी विकास हुआ। इसी समय फ़ारस में हख़ामनी (एकेमेनिड) उदय हो रहा था। रोम भी शक्तिशाली होता जा रहा था। सन् 500 ईसापूर्व से लेकर 448 ईसापूर्व तक फ़ारसी साम्राज्य ने यूनान पर चढ़ाई की। यवनों को इन युद्धों में या तो हार का मुँह देखना पड़ा या पीछे हटना पड़ा। पर ईसापूर्व चौथी सदी के आरंभ में तुर्की के तट पर स्थित ग्रीक नगरों ने फारसी शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह करना आरंभ कर दिया।

    सिकन्दर

    सन् 335 ईसापूर्व के आसपास मकदूनिया में सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर, अलेक्षेन्द्र) का उदय हुआ। उसने लगभग सम्पूर्ण यूनान पर अपना अधिपत्य जमाया। इसके बाद वो फ़ारसी साम्राज्य की ओर बढ़ा। आधुनिक तुर्की के तट पर वो 330 ईसापूर्व में पहुँचा जहाँ पर उसने फारस के शाह दारा तृतीय को हराया। दारा रणभूमि छोड़ कर भाग गया। इसके बाद सिकन्दर ने तीन बार फ़ारसी सेना को हराया। फिर वो मिस्र की ओर बढ़ा। लौटने के बाद वो मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक़, उस समय फारसी नियंत्रण में) गया। अपने साम्राज्य के लगभग 40 गुणे बड़े साम्राज्य पर कब्जा करने के बाद सिकन्दर अफ़गानिस्तान होते हुए भारत तक चला आया। यंहा पर उसका सामना पोरस ( पुरु ) से हुआ. युद्ध में भले ही पोरस की हार हुई, जैसा कि कुछ इतिहासकार मानते हैं, लेकिन इस युद्ध से सिकंदर की सेना आगे बढ़ने का हौसला नही रख पाई. पोरस के बाद अभी भारतवर्ष को जीतने के लिए अनेको शासको से युद्ध करना पड़ता इसलिए सिकंदर की सेना ने आगे बढ़ने से मना कर दिया. यूनानी इतिहासकारों ने इस तथ्य को छिपा लिया और सेना के थकने की थ्योरी पैदा की. आगे न बढ़ पाने की स्थिति में वह वापस लौट गया. सन् 323 में बेबीलोनिया में उसकाी मृत्यु हो गई। उसकी इस विजय से फारस पर उसका नियंत्रण हो गया पर उसकी मृत्यु के बाद उसके साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। आधुनिक अफ़गानिस्तान में केन्द्रित शासक सेल्युकस इसमें सबसे शक्तिशाली साबित हुआ। पहली सदी ईसा पूर्व तक उत्तरपश्चिमी भारत से लेकर ईरान तक एक अभूतपूर्व हिन्द-यवन सभ्यता का सृजन हुआ।

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    प्राचीन यूनानी लोग ईसापूर्व १५०० इस्वी के आसपास इस द्वीप पर आए जहाँ पहले से आदिम लोग रहा करते थे। ये लोग हिन्द-यूरोपीय समूह के समझे जाते हैं। 1100 ईसापूर्व से 800 ईसापूर्व तक के समय को अन्धकार युग कहते हैं। इसके बाद ग्रीक राज्यों का उदय हुआ। एथेन्स, स्पार्टा, मेसीडोनिया (मकदूनिया) इन्ही राज्यों में प्रमुख थे। इनमें आपसी संघर्ष होता रहता था। इस समय ग्रीक भाषा में अभूतपूर्व रचनाए हुईं। विज्ञान का भी विकास हुआ। इसी समय फ़ारस में हख़ामनी (एकेमेनिड) उदय हो रहा था। रोम भी शक्तिशाली होता जा रहा था। सन् 500 ईसापूर्व से लेकर 448 ईसापूर्व तक फ़ारसी साम्राज्य ने यूनान पर चढ़ाई की। यवनों को इन युद्धों में या तो हार का मुँह देखना पड़ा या पीछे हटना पड़ा। पर ईसापूर्व चौथी सदी के आरंभ में तुर्की के तट पर स्थित ग्रीक नगरों ने फारसी शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह करना आरंभ कर दिया।

    सिकन्दर

    सन् 335 ईसापूर्व के आसपास मकदूनिया में सिकन्दर (अलेक्ज़ेन्डर, अलेक्षेन्द्र) का उदय हुआ। उसने लगभग सम्पूर्ण यूनान पर अपना अधिपत्य जमाया। इसके बाद वो फ़ारसी साम्राज्य की ओर बढ़ा। आधुनिक तुर्की के तट पर वो 330 ईसापूर्व में पहुँचा जहाँ पर उसने फारस के शाह दारा तृतीय को हराया। दारा रणभूमि छोड़ कर भाग गया। इसके बाद सिकन्दर ने तीन बार फ़ारसी सेना को हराया। फिर वो मिस्र की ओर बढ़ा। लौटने के बाद वो मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक़, उस समय फारसी नियंत्रण में) गया। अपने साम्राज्य के लगभग 40 गुणे बड़े साम्राज्य पर कब्जा करने के बाद सिकन्दर अफ़गानिस्तान होते हुए भारत तक चला आया। यंहा पर उसका सामना पोरस ( पुरु ) से हुआ. युद्ध में भले ही पोरस की हार हुई, जैसा कि कुछ इतिहासकार मानते हैं, लेकिन इस युद्ध से सिकंदर की सेना आगे बढ़ने का हौसला नही रख पाई. पोरस के बाद अभी भारतवर्ष को जीतने के लिए अनेको शासको से युद्ध करना पड़ता इसलिए सिकंदर की सेना ने आगे बढ़ने से मना कर दिया. यूनानी इतिहासकारों ने इस तथ्य को छिपा लिया और सेना के थकने की थ्योरी पैदा की. आगे न बढ़ पाने की स्थिति में वह वापस लौट गया. सन् 323 में बेबीलोनिया में उसकाी मृत्यु हो गई। उसकी इस विजय से फारस पर उसका नियंत्रण हो गया पर उसकी मृत्यु के बाद उसके साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। आधुनिक अफ़गानिस्तान में केन्द्रित शासक सेल्युकस इसमें सबसे शक्तिशाली साबित हुआ। पहली सदी ईसा पूर्व तक उत्तरपश्चिमी भारत से लेकर ईरान तक एक अभूतपूर्व हिन्द-यवन सभ्यता का सृजन हुआ।

    सिकन्दर के बाद सन् 117 ईसापूर्व में यूनान पर रोम का नियंत्रण हो गया। यूनान ने रोम की संस्कृति को बहुत प्रभावित किया। यूनानी भाषा रोम के दो आधिकारिक भाषाओं में से एक थी। यह पूर्वी रोमन साम्राज्य की भी भाषा बनी। सन् 1453 में कस्तुनतूनिया के पतन के बाद यह उस्मानी (ऑटोमन तुर्क) नियंत्रण में आ गया। इसके बाद सन् 1821 तक यह तुर्कों के अधीन रहा जिस समय यहाँ से कई लोग पश्चिमी यूरोप चले गए और उन्होंने अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं में अपने ग्रंथों का अनुवाद किया। इसके बाद ही इनका महत्व यूरोप में जाना गया।

    सन् 1821 में तुर्कों के नियंत्रण से मुक्त होने के बाद यहाँ स्वतंत्रता रही है पर यूरोपीय शक्तियों का प्रभाव यहाँ भी देकने को मिला है। प्रथम विश्वयुद्ध में इसने तुर्कों के खिलाफ़ मित्र राष्ट्रों का साथ दिया। द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनों ने यहाँ कुछ समय के लिए अपना नियंत्रण बना लिया था। इसके बाद यहाँ गृह युद्ध भी हुए। सन् 1975 में यहाँ गणतंत्र स्थापित कर दिया गया। साइप्रस को लेकर ग्रीस और तुर्की में अबतक तनाव बना हुआ है।

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