Context of याकूत लोग

याकूत (अंग्रेज़ी: Yakut) या साख़ा (साख़ा: Саха) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के मध्य-उत्तरी भाग में स्थित साख़ा गणतंत्र में बसने वाला तुर्क लोगों का एक समुदाय है। यह अपनी अलग साख़ा भाषा बोलते हैं जो तुर्की भाषाओं की साइबेरियाई शाखा की उत्तरी उपशाखा की एक बोली है। कुछ याकूत लोग साख़ा गणतंत्र से बाहर रूस के अमूर, मागादान व साख़ालिन क्षेत्रों में और तैमिर व एवेंक स्वशासित क्षेत्रों में भी रहते हैं।

२००२ की जनगणना में इनकी लगभग साढ़े-चार लाख की आबादी साख़ा गणतंत्र में रह रही थी। सोवियत संघ के ज़माने में इनके इलाके में बहुत से रूसी लोग आ बसे जिस से इनका उन क्षेत्रों में प्रतिशत-हिस्सा घाट गया लेकिन सोवियत व्यवस्था टूटने के बाद यह ज़रा-बहुत बढ़ा है। भूगोल और अर्थव्यवस्था के हिसाब से याकूत लोग दो समूहों में बंटे हैं। उत्तरी याकूत शिकार, मछली पकड़ने और रेनडियर-पालन से जीवनी चलते हैं, जबकि दक्षिणी याकूत गाय और घोड़ों का मवेशी-पालन करते हैं।

More about याकूत लोग

Population, Area & Driving side
  • Population 478409
इतिहास
  • याकूत लोग शुरू में बयकाल झील क्षेत्र और उस झील में स्थित ओलख़ोन द्वीप पर रहा करते थे। १३वीं सदी में मंगोल साम्राज्य उभरा और उनके दबाव से याकूतों के पूर्वज मध्य लेना नदी, अल्दान नदी और विल्युय नदी के क्षेत्र में चले आए। यहाँ वे एवेंक और एवेन जैसे उत्तरी साइबेरियाई आदिवासियों से मिश्रित हो गए। उत्तरी याकूत शिकार, मछली पकड़ने और रेनडियर पालन करने लगे लेकिन दक्षिणी याकूत अपने पूर्वजों की तरह गाय और घोड़ों का पालन करते रहे।

    १६२० के दशक में रूस की इलाक़े में विस्तार करने लगा। उसनें यकूतों पर पशु-ख़ाल लेने का कर लगाया और १६३४ से लेकर १६४२ काल में कई याकूत विद्रोहों को कुचला। पशु-ख़ाल के लगान को 'यसक' कहते थे। रूसी क्रूरता और यसक से परेशान होकर यकूतों और लेना नदी के किनारे बसे तुन्गुसी लोगों ने १६४२ में बड़ा विद्रोह किया। रूसी फ़ौजों के नेता पीटर गोलोविन ने इसे बेरहमी से कुचला और फिर आतंक से राज करना शुरू किया। याकूत गाँवों को जला दिया गया और सैंकड़ों लोगों को पीटकर और यातनाएँ देकर हत्याएँ की। इसके नतीजे में १६४२ से १६८२ काल में लगभग ७०% याकूत लोग मर गए।[1] इसके बाद यहाँ सोना मिलने और पार-साइबेरियाई रेलमार्ग बनने से बड़ी तादाद में रूसी लोग यहाँ आने लगे। १८२० के दशक तक लगभग सभी यकूतों को रूसी पारंपरिक ईसाई बनवाया जा चुका था हालांकि इनके समाज में ओझा धर्म की कई मान्यताएँ बची रही और आज तक सलामत हैं।

    सोवियत संघ बनने के बाद, १९१९ में इस क्षेत्र को 'याकूत स्वशासित सोवियत समाजवादी गणतंत्र' के नाम से गठित किया गया, लेकिन १९२१-१९२३ काल में एक याकूत विद्रोह हुआ। सोवियत तानाशाह जोसेफ़ स्टालिन के राज में याकूतों को ज़बरदस्ती सामूहिक कृषि और मवेशी-पालन में धकेला गया और गुलाग व्यवस्था के तहत इनसे काम भी करवाया गया। इस दलान से भी बहुत से याकूत जानें खो बैठे और इनकी जनसंख्या १९६० तक पहले से कम ही रही। वर्तमान काल में याकूत लोग साख़ा गणतंत्र का सबसे बड़ी संख्या वाला समुदाय हैं और २०१० की रूसी जनगणना के हिसाब से उस क्षेत्र के ४९.९% थे। इनकी आबादी रूसी लोगों से अधिक तेज़ बढ़ रही है यानि वे जल्दी ही इस गणतंत्र में बहुसंख्यक हो पाएँगे।

    The Massacre in History, Mark Levene, Penny Roberts, pp. 155, Berghahn Books, 1999, ISBN 978-1-57181-935-2, ... Thus, Russian brutality in collection of the pelt tax (yasak) sparked a rebellion among the Yakuts and the Tungusic-speaking tribes along the River Lena in 1642 ...

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