Alhambra

( अल हम्रा )

अल हम्रा (स्पेनी: Alhambra, अरबी: الحمرا‎, मतलब "लाल वाला") स्पेन के ग्रानादा शहर में स्थित एक ऐतिहासिक महल और दुर्ग है। यह पश्चिमी इस्लामी स्थापत्य और वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। यह मूल रूप में 889 में एक छोटे किले के तौर पर बनाया गया था पर इसका कोई ख्याल न रखा गया। फिर 11वीं सदी के मध्य में ग्रानादा एमिरात के मूर मूल के आमिर महंमद बिन अल-अहमार ने इसका मौजूदा महिल और दीवारें बनवाई। 1333 में ग्रानादा के सुल्तान यूसफ पहिले ने इसको शाही महिल में तब्दील कर दिया।

मूरी ग्रानडा शहर की सीमा पर डारौ नदी के किनारे पहाड़ी पर यह राजभवन बना हुआ है। इस 'कालअत अल हमरा' अर्थात् लाल किले को यूसफ़ (१३५४) और मोहम्मद पंचम (१३३४-१३९१) ने बनवाया था। अब इस समय पुराने दुर्ग की भारी दीवारें और बुर्जे ही बच रही हैं। इसके परे 'अलहंब्रा आल्ता' (दरबारियों का निवासस्थान) है। दीवारें लाल ईटों की बनी हैं और उनपर ऊँची ऊँची बुर्जियाँ हैं। महल के चारों ओर परकोटा दौड़ता है। चार्ल्स पंचम ने अपना राजभवन बनाने के विचार से मूर नरेशों का राजमहल नष्ट क...आगे पढ़ें

अल हम्रा (स्पेनी: Alhambra, अरबी: الحمرا‎, मतलब "लाल वाला") स्पेन के ग्रानादा शहर में स्थित एक ऐतिहासिक महल और दुर्ग है। यह पश्चिमी इस्लामी स्थापत्य और वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। यह मूल रूप में 889 में एक छोटे किले के तौर पर बनाया गया था पर इसका कोई ख्याल न रखा गया। फिर 11वीं सदी के मध्य में ग्रानादा एमिरात के मूर मूल के आमिर महंमद बिन अल-अहमार ने इसका मौजूदा महिल और दीवारें बनवाई। 1333 में ग्रानादा के सुल्तान यूसफ पहिले ने इसको शाही महिल में तब्दील कर दिया।

मूरी ग्रानडा शहर की सीमा पर डारौ नदी के किनारे पहाड़ी पर यह राजभवन बना हुआ है। इस 'कालअत अल हमरा' अर्थात् लाल किले को यूसफ़ (१३५४) और मोहम्मद पंचम (१३३४-१३९१) ने बनवाया था। अब इस समय पुराने दुर्ग की भारी दीवारें और बुर्जे ही बच रही हैं। इसके परे 'अलहंब्रा आल्ता' (दरबारियों का निवासस्थान) है। दीवारें लाल ईटों की बनी हैं और उनपर ऊँची ऊँची बुर्जियाँ हैं। महल के चारों ओर परकोटा दौड़ता है। चार्ल्स पंचम ने अपना राजभवन बनाने के विचार से मूर नरेशों का राजमहल नष्ट कर दिया था, किन्तु उसका राजभवन कभी बन न सका। इसकी सजावट में गाढ़े और भड़कीले रंगों का उपयोग किया गया है। इसका सौंदर्य विशेषकर उस समय प्रकट होता है जब सूर्यरश्मियां मूरी स्तंभों और मेहराबों से छन छनकर दीवारों पर पड़ती हैं।

इसके आकर्षण के केंद्र दो आयताकार आंगन हैं। यसुफ़ का बनवाया हुआ १३५ फुट बड़ा अलबोको मत्स्यपूर्ण तड़ाग है। इसके एक ओर एँबाज़ादोरेज़ (दूतभवन) है जहाँ ३० वर्ग फुट ऊँचा सिंहासन बना हुआ है। इसका गुंबज ५० फुट ऊँचा है। दूसरा आंगन 'केसरी गृह' के नाम से प्रसिद्ध है। इसे मोहम्म्द पंचम ने बनवाया था। इसमें एक १६ फुट फुट ऊँचा फव्वारा सिंह के मुख से बहता रहता है। यह आंगन के मध्य बारह श्वेत सिंहों के सहारे टिका हुआ अस्वस्तम का पात्र है। इनकी दीवारों पर नीचे से पाँच फुट ऊँचे तक पीले रंग की विभिझ प्रकार की टाइलें लगी हुई हैं। फर्श संगमरमर का है। इसके एक ओर स्थित 'अमेंसेर्राजेस' नामक एक वर्गाकार कमरे की ऊँची गुंबज नीली, लाल, सुनहरी और भूरे रंग की है। इसके सामने 'साला-लास-रोस हरमानस' (दो बहनों का हाल) है। इसमें भी सुंदर फव्वारा और गुंबज है।

१८१२ में नेपोलियन के समय जब फ्रांस की सेना ने स्पेन पर आक्रमण किया, इसकी बुर्जे उड़ा दी गईं। १८२१ के भूकंप से भी इसको भारी हानि पहुँची। १८२८ में इसके पुननिर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ और इटली के प्रसिद्ध शिल्पी कानट्रेरास, उसके पुत्र राफेल पौत्रे और प्रपौत्र मरिआए ने तीन पीढ़ियों में पूरा किया।

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