सउदी अरब
Context of सउदी अरब
सउदी अरब मध्यपूर्व में स्थित एक सुन्नी मुस्लिम देश है। यह एक इस्लामी राजतंत्र है जिसकी स्थापना १७५० (११६३ हिजरी) के आसपास सउद द्वारा की गई थी। यहाँ की धरती रेतीली है तथा जलवायु उष्णकटिबंधीय मरुस्थल। यह विश्व के अग्रणी तेल निर्यातक देशों में गिना जाता है। सउदी अरब के पश्चिम की ओर लाल सागर है और उसके पार मिस्र। दक्षिण की ओर ओमान और यमन हैं और उनके दक्षिण में हिन्द महासागर। उत्तर में इराक और जॉर्डन की सीमा लगती है जबकि पूरब में फारस की खाड़ी और कुवैत तथा संयुक्त अरब अमीरात। फ़िलिस्तीन का क्षेत्र इसके उत्तर की दिशा में है और अरबों ने इसके इतिहास को बहुत प्रभावित किया है।
यहाँ इस्लाम के प्रवर्तक मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था और यहाँ इस्लाम के दो सबसे पवित्र स्थल मक्का और मदीना अवस्थित हैं। इस्लाम में हज का स्थान मक्का बताया गया है और दुनिया के सारे मुसलमान मक्का की ओर ही नमाज अदा करते हैं। यहाँ के मुसलमान मुख्यतः सुन्नी हैं और इस्लाम की राजनैतिक राजधानी के इस देश से बाहर रहने के बावजूद इस देश के लोगों ने इस्लाम धर्म पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
More about सउदी अरब
- Currency सउदी रियाल
- Calling code +966
- Internet domain .sa
- Mains voltage 230V/60Hz
- Democracy index 2.08
- Population 791105
- छेत्र 2250000
- Driving side right
प्राचीन काल में दिल्मन सभ्यता सुमेर तथा मिस्र की प्राचीन सभ्यता के समकालीन थी। सन् ३५००-२५०० ईसापूर्व के मध्य में कुछ अरबों का बेबीलोनिया-असीरिया के इलाके में आगमन अरबों के इतिहास की पहली महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। सातवीं सदी तक अरबों का इतिहास कबीलों के झगड़ों और छिटपुट रूप से विदेशी प्रभुत्व की कहानी लगती है।
इस्लाम का उदय६१३ इस्वी के आसपास एक अरबी दफ़तर ने लोगों में एक दिव्य ज्ञान का प्रचार किया। आपका कहना था कि आपको इसका ज्ञान अल्लाह के फरिश्ते जिब्राईल ने दिया और प्रत्येक इन्सान को उन्हीं तरीकों को अपनाना चाहिए। आपका का नाम मुहम्मद (स्०) था और उनकी बीवी का नाम खादीजा था। लोगों को उनकी बात पर या तो यकीन नहीं आया या साधारण सी लगी। पर गरीबों को ये बात बहुत पसन्द आई कि किसी का शोषण नहीं करना चाहिए जो यह करेगा उसे कयामत के दिन नरक का प्राप्ति होगी। लोगों के बीच समानता के भाव की बात दलितों और निचले तबकों में लोकप्रियता मिलने लगी। फिर धीरे धीरे और लोग भी उनके अनुयायी बनने लगे। उनकी बढ़ती ख्याति देखकर मक्का के कबीलों को अपनी लोकप्रियता और सत्ता खो देने का भय हुआ और उन्होंने मुहम्मद (स्०) को सन् ६२२ (हिजरी) में मक्का छोड़ने को विवश कर दिया। वो मदीना चले आए जहाँ लोगों,खासकर संभ्रांत कुल के लोग और यहूदियों से उन्हें समर्थन मिला। इसके बाद उनके अनुचरों की संख्या और शक्ति बढती गई। मुहम्मद (स्०) ने मक्का पर चढ़ाई कर दी और वहाँ के प्रधान ने हार मान ली। उनके 'संदेश' से और लोग प्रभावित होने लगे और उनकी प्रभुसत्ता में विश्वास करने लगे। उसके बाद मुहम्मद ने अपने नेतृत्व में कई ऐसे सैनिक अभियान भी चलाए जिनमें उनका विरोध करने वालों को हरा दिया गया। सन् ६३२ में मुहम्मद साहब की मृत्यु तक लगभग सारा अरब प्रायद्वीप मुहम्मद साहब के संदेश को कुबूल कर चुका था। इन लोगों को मुस्लिम कहा जाने लगा।
मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद अरबों की राजनैतिक शक्ति में बहुत वृद्धि हुई। सन् ७०० इस्वी तक ईरान, मिस्र, ईराक तथा मध्यपूर्व में इस्लाम की सामरिक विजय स्थापित हो गई थी। अरब इन इलाकों में छिटपुट रूप से बस भी गए थे। इस्लाम की राजनैतिक सत्ता खिलाफ़त के हाथ रही। आरंभ में तो इस्लाम का केन्द्र दमिश्क रहा और फिर मक्का पर आठवीं सदी के मध्य तक बग़दाद इस्लाम की राजनैतिक राजधानी बना। इस्लाम के राजनैतिक वारिस अरब ही रहे पर कई और नस्ल/जाति के लोग भी धीरे धीरे इसमें मिलने लगे। सोलहवीं सदी में उस्मानों ने मक्का पर अधिकार कर लिया और इस्लाम की राजनैतिक शक्ति तुर्कों के हाथ चली गई और सन् १९२२ तक उन्हीं के हाथों रही।